भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया का दूसरा सबसे अधिक जनसँख्या वाला देश है. जोकि गरीबी, असाक्षरता एवं बेरोजगारी जैसी समस्याओं से ग्रसित है।
इस प्रकार की समस्याओं के निवारण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया‘ कार्यक्रम प्रारम्भ किया। जिसका मुख्य उद्देश्य ‘भारत में निर्माण कर कहीं भी बेचो है’। साथ ही साथ इस कार्यक्रम के तहत विदेशी व्यापारियों को भी भारत में आकर निवेश करने के लिए प्रेरित किया।
इस कार्यक्रम के तहत अलग अलग 25 सेक्टर को चिन्हित किया गया, जहां अधिक विकास की आवश्यकता है.
भारत में बहुत अधिक प्रशिक्षित एवं शिक्षित युवा हैं जोकि अवसर न मिलने के कारण बेरोजगार हैं. मेक इन इंडिया के तहत ऐसे युवाओं को चिन्हित करके उनके लिए नौकरी की व्यवस्था, प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी।
प्रशिक्षण के बाद इस प्रकार के प्रशिक्षित युवाओं की मांग ऑटोमोबाइल्स, केमिकल्स, आई टी, फार्मा, इलेक्ट्रिकल, निर्माण, कपडा, मीडिया, टूरिज़्म, अस्पताल आदि विभागों में बहुत बढ़ गयी है।
इसका नकारात्मक प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ा. जितना अधिक उद्योगों को बढ़ावा दिया गया उतना ही नुकसान प्राकृतिक संसाधनों जैसे कृषि योग्य भूमि, जल जीवन का हुआ. साथ ही साथ प्रदूषण, गन्दगी आदि समस्याएं बढ़ गयी।
अंततः मेक इन इंडिया का उद्देश्य भारत को टेक्नोलॉजी एवं बिज़नेस हब बनाना है. जिसके तहत एक अच्छी संख्या में रोजगार को पैदा किया जाये. जिसमे पुरुष एवं महिला दोनों को कार्य करने के सामान अवसर मिले और उनके जीवन शैली के मानक भी अच्छे, खुशहाल एवं शांतिपूर्ण जीवन को प्राप्त कर पाए।